देश की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम करने के इरादे से समूची न्याय व्यवस्था को एक नया कलेवर देने की तैयारियां शुरू हो गई हैं । ताजी जानकारी के अनुसार न्याय व्यवस्था को सुदृढ बनाने के प्रयासों के तहत एक महात्वाकांक्षी योजना जिसे ज़ीरो पेन्डेन्सी योजना कहा जा रहा है पर विचार किया जा रहा है । इस योजना के तहत सेवानिवृत न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं को अस्थाई न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के साथ ही लंबित मुकदमों क राष्ट्रीय ग्रिड बनाने का काम किया जा रहा है ॥ इसके लिए देश के सभी उच्च न्यायालयों से लंबित मुकदमों का पूरा विवरण इस ग्रिड को उपलब्ध कराने को कहा गया है ॥
गौरतलब है कि अदालतों मे सरकारी मुकदमों की अत्यधिक संख्या होने के संदर्भ में इस प्रस्ताव में कहा गय है कि केन्द्र सरकार इस साल के अंत तक अपनी राष्ट्रीय मुकदमा नीति तैयार करेगी । राज्य सरकारें भी ऐसी ही नीति अपनाएं तो परिणाम सकारात्मक निकलेंगे इसकी उम्मीद की जा रही है । प्रस्तावित योजना के तहत न्यायपालिका में रिक्त स्थानों पर नियुक्ति के लिए पहले से ही योग्य व्यक्तियों का चयन सुनिश्चित करने के इरादे से जजों की संख्या में काल्पनिक स्तर पर पच्चीस फ़ीसदी वृद्धि के प्रधान न्यायाधीश के सुझाव को ध्यान में रखने की बात कही गई है । अधीनस्थ न्यायालयों के लिए एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन पर विचार की सिफ़ारिश की गई है ॥ सेवानिवृत जजों के बारे में जानकारी एकत्र करके न्यायिक अधिकारियों का एक राष्ट्रीय पूल बनाने की सिफ़ारिश भी की गई है तकि विभिन्न उच्च न्यायालय मे न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए इसमें से चयन किया ज सके । तीन साल से कम की सजा से जुडे अपराधों के सभी लंबित मामलों के निपटारे का दायित्व विशेष जजों को देने की सिफ़ारिश की गई है ॥
इन योजनाओं पर काम शुरू हो चुका है , इनका कैसा परिणाम निकलेगा ये तो भविष्य की बात है मगर इन प्रयासों को देख कर ये उम्मीद तो की ही जा सकती है कि आने वाले समय में यदि न्यायिक व्यवस्था पर बोझ न भी कम हो पाए तो , इसे कम किया जाना है ये बात तो इनके जेहन में जरूर ही रहेगी ॥
शनिवार, 9 जनवरी 2010
जीरो पेन्डेन्सी योजना से कम होगा अदालतों पर बोझ
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अगर सच में ये योजना मूर्त रूप लेती है तो आम आदमी को त्वरित न्याय मिलेगा...उसे मुकदमेबाज़ी में अपने
जवाब देंहटाएंघर-खेत नहीं बेचने पड़ेंगे...
ये भी नहीं कहा जाएगा....दादा लड़ें, पोते भुगतें...
जय हिंद...
खुश दीप से सहमत हुं, लेकिन अगर यहां ईमानदारी से फ़ेसले होगे तो बहुत अच्छा है, क्योकि कई मुकदमे सिर्फ़ सांख्या बढाने के लिये ही होते है, जो एक दो सुनबाई मै सुळट सकते है
जवाब देंहटाएंयोजना अच्छी है, यदि सरकार की आर्थिक अनुमतियों के ठण्डे बस्ते में न जा पड़े। सब से बड़ी बाधा राज्य सरकारों की न्याय व्यवस्था के प्रति उपेक्षा और उदासीनता है।
जवाब देंहटाएंNice Post. Keep it up.
जवाब देंहटाएंPlease join :
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