शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

राजधानी की अदालतों में लंबित मुकदमों के निस्तारण के लिए क्रांतिकारी मिशन मोड योजना शुरू



आज न्यायपालिका से सामने सबसे बडी चुनौती , लंबित मुकदमों के जल्द से जल्द निस्तारण का ही है । आंकडों के मुताबिक इस समय देश की अदालतों में कम से कम साढे तीन करोड मुकदमें लंबित हैं । सरकार अपनी तरफ़ से जाने कितनी ही योजनाएं चला रही है और जाने कितनी अभी लूप में हैं । मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना , लोक अदालतों का गठन , सांध्यकालीन अदालतों का परिचालन ,विशेष अदालतों का गठन , फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट्स , मुफ़्त विधिक सेवा , प्ली बारगेनिंग जैसे तमाम उपायों पर एक साथ काम किया जा रहा है । ऐसा नहीं है कि लंबित मुकदमों का सारा दोष सिर्फ़ अदालतों और धीमी अदालती प्रक्रिया का है । आज समाज में अपराध , हादसों , लडाई झगडे , विवाद इतनी तीव्र गति से बढ रहा है कि अदालतें जो पहले से ही कम थीं और कम महसूस होने लगती है । अदालती सुधारों और मुकदमों के तीव्र निष्पादन हेतु एक और नई योजना शुरू की गई है । फ़िलहाल राजधानी की जिला अदालतों को निर्देश जारी किए गए हैं । 


मिशन मोड योजना के नाम से शुरू की इस योजना के लिए राजधानी की सभी अदालतों को इस योजना के विस्तृत निर्देश दिए गए हैं । विधि एवं न्याय मंत्री वीरअप्पा मोइली द्वारा , माननीय मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय को एक पत्र लिख के इस योजना के शुभारंभ और पूरी विस्तृत जानकारी दी । एक जुलाई २०११ से कोलकाता के एक जिले से इस योजना का शुभारंभ किया गया है । इसके तहत दिल्ली की प्रत्येक अदालत में , एक निर्देश जारी किया गया है कि वे अपने यहां लंबित मुकदमों में से सबसे पुराने मुकदमों को चुन कर उन्हें , बुजुर्गों, महिलाओं , बच्चों से संबंधित मुकदमे के वर्गीकरण के अनुसार वरीयता पर लेते हुए अगले छह महीनों के अंदर निस्तारण का प्रयास करने को कहा गया है । इसके लिए बाकायदा के निर्धारित प्रपत्र दिया गया है , जिसे स्वयं न्यायाधीशों को अपने लिए एक टार्गेट तय करने को कहा गया है और फ़िर उसे अगले छह महीनों में पाने का प्रयास करने को कहा गया है ।


पूरी योजना की गंभीरता का अंदाज़ा सिर्फ़ इस बात से ही लगाया जा सकता है कि , इसके लिए न सिर्फ़ विशेष रूप से कोर्ट मैनेजर जैसे पदों का गठन करके उन्हें भरा गया है बल्कि , अगले वर्ष की पहली तारीख को ,इस निर्धारित टार्गेट और वास्तविक निष्पादन पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके उच्च न्यायालय में भेजने का निर्देश दिया गया है । ज्ञात हो कि , अभी कुछ समय पहले भी , सबसे पुराने मुकदमों को , वृद्धों से संबंधित , बच्चों एवं महिलाओं से संबंधित मुकदमों को वरीयता देते हुए निपटाने के लिए बहुत से उपाय अपनाने और उन्हें जल्द से जल्द निस्तारित करने की एक योजना पहले से ही चल रही है । आने वाले समय में इस तरह से प्रतिबद्धता निभाते हुए यदि एक बडी कोशिश की जाए तो यकीनन इसका कुछ सकारात्मक प्रभाव पडेगा ऐसा कानूनविद मान रहे हैं ।