ये हुआ करती थीं ,पुरानी अदालतें
और ये नीचे हैं, अत्याधुनिक तकनीक , लेजर कैमरों , सीसीटीवी , वीडियोकांफ़्रेंसिंग, डौकेट सिस्टम , की स्टेटस सिस्टम और पूर्णतयावातुनुकुलित नई अदालत का चेहरा
ऐसा कई कारणों से किया जा रहा है । अदालत की छवि बदलने के लिए, वहां आने जाने वालों की सहूलियत , तथा बेहतर वातावरण से मुकदमों के निस्तारण के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना । अब ये तो वक्त ही बताएगा ,कि ..........अदालत के ये बदलते चेहरे .......आम आदमी के चेहरे पर कितना सुकून और मुस्कुराहट ला पाएंगे ....अन्यथा ये खूबसूरती भी बदसूरत ही साबित होगी ॥
चेहरा नहीं भावना बदलने की जरूरत है जिससे न्याय की परिभाषा इंसानियत और सत्य के आधार पर लिखा जा सके ना की ताकत,सिफारिस और पैसों के बल पे ...
जवाब देंहटाएंhonesty project democracy जी से सहमत है जी
जवाब देंहटाएंजब तक इन्साफ की देवी की आँखों से पट्टी नही उतरती ये चमक दमक किसी काम नही आयेगी। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंनिर्मला कपिला जी की बात से सहमत हूँ
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