बुधवार, 18 जून 2008

जमानत प्रक्रिया को जानें - 3

जैसा की मैंने कल कहा था की यदि किसी प्रार्थी को लगता है की अदालत ने जमानत के लिए जो राशिः तय की है , वो उसके बूते की बाहर है तो सी आर पी सी की धारा ४४० के तहत वो अदालत में उस जमानत राशिः को कम करने की प्रार्थना कर सकता है। किसी परिस्थितिवश यदि वह जमानती बदलना चाहता है तो इसके लिए भी वह प्रार्थना पत्र दे सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है की जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन, गवाहों या साक्ष्यों को प्रभावित करने का प्रयास तथा नियत तिथि पर अदालत के समक्ष उपस्थित न होने पर किस भी समय उसकी जमानत रद्द की जा सकती है। कुछ विशेष परिस्थिति में प्रार्थी के अत्यधिक गरीब होने आदि की स्थिति में अदालत उसे व्यक्तिक जमानत पर भी छोड़ सकती है।

जमानत देने वाले व्यक्ति के लिए ध्यान रखने योग्य बातों का उल्लेख भी करते चलें। वह अच्छी तरह तय कर ले की वह किसी की जमानत देने जा रहा है भ्वावेश में या अनजाने में ऐसा करना अहितकर हो सकता है। अपनी पहचान तथा स्तिथि के सन्दर्भ में सभी कागजातों की मूल प्रति अवश्य साथ ले जाएँ। और हां, जमा किए जा रहे सभी कागजातों की एक फोटो प्रति अपने पास सुरक्षित रख लें। वाद संख्या, प्राथमिकी संख्या, थाना धारा, तहत जमानत की तारीख आदि भी अच्छी तरह नोट कर लें। केस की समाप्ति पर पुनः अर्जी लगाकर जमानत बंधपत्र के साथ जमा अपने कागजातों को वापस प्राप्त कर लें।

अगले आलेखों में, तलाक लेने से पहले
कैसे लें मुआवजा,
जाने गिरफ्तारी कानूनको

3 टिप्‍पणियां:

  1. aap apne blog mei court ke bare mei jankari dekar bhut hi aacha kar rhe hai.isse logo mei jagrukta ka vikas hoga.likhate rhe.

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  2. आप का धन्यवाद, जो ये जानकारियाँ आप लोगों तक पहुँचा रहे हैं। मुझे लगता है इस विषय पर नैट पर जानकारियों का अत्यन्त अभाव है।

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  3. chaliye achha hai, ab mujhe jab bhee kisi adhiwaktaa ke specialist raay kee jaroorat hogee to aap dono ko hee pakdungaa.

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