हाँ ये , अदालत है.
हर किसी की, ,
किसी न किसी से,
यहाँ पर अदावत है,
हाँ,ये अदालत है.....
चप्पे चप्पे पर, है कानून यहाँ,
मगर उसी kaanoon से,
सबको यहाँ शिकायत है,
हाँ ये, अदालत है...
चारों तरफ सन्नाटा है,
सब और खामोशी है,
जो सुनाई देता है,
नोटों की सरसराहट है,
हाँ ये अदालत है.....
दीवारों पर पंजे हैं,
फर्श पर हैं कांटे निकले,
बबूल के पेड़ की,
गुलाब सी सजावट है,
हाँ ये अदालत है..
नकली रिश्ते, नकली नाते,
नकली हंसी, नकली खुशी,
पर नकली पर रंग है ऐसा,
इस असली से दिखावट है,
हाँ, ये अदालत है........
न्यायालय में भ्रष्टाचार मंदिर में होता व्यभिचार।
जवाब देंहटाएंविश्वासों का टूट रहा है धीरे धीरे सब आधार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
भाई अदालतें कम हैं तो यह सब तो होगा। माँग जितनी पूर्ती ही नहीं है तो बिचौलिए कमाएंगे ही।
जवाब देंहटाएंहाँ ये अदालत है
जवाब देंहटाएंजहाँ पर कांटे है जो दीखते नही
यहाँ पर जरुरत है जो विकती नही
यहाँ पर जो है वो झूठ है
सच में कहे यहं पर भी लूट है
काश सरकारों के पास, अदालतों और कानूनों के लिए भी पर्याप्त समय होता.
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