जैसा की कल मैंने आप से कहा था की पहली दो बातें जो किसी को भी ध्यान में रखनी चाहिए वो ये की छोटे मोटे काम के लिए उसी के अनुरूप वकील और दूसरा ये की जो वकील जिस क्षेत्र में माहिर हो उसे उसी क्षेत्र के काम के लिए लिया जाया तो परिणाम निसंदेह बेहतर होता है , और ये फर्क मुक़दमे की पेशी के दौरान ही हो जाता है, आज बात करते हैं , वकीलों के फीस की और कुछ और भी बातें जो किसी को भी वकील करते समय ध्यान में रखनी चाहिए।
कहते है की डॉक्टर , मकेनिक, और वकील की फीस अनिश्चित और आस्मां होती है। सच तो ये है की इन सबका काम ही इनकी फीस तय करता है। लेकिन वकालत के पेशे में इन दिनों फीस लें की तीन तरह की प्रवृत्ति प्रचलित है। पहली लम्षम में, यानि पूरे काम के या मुक़दमे की फीस एक साथ, एक निश्चित रकम के रूप में। दूसरी मुक़दमे की तारीख के हिसाब से यानि जितने दिन वकील आपके मुक़दमे में पेश होगा उन दिनों के पैसे आपसे लेगा, तीसरा और अन्तिम होता है कमीसन के रूप में , और ये तीसरी तरह की फीस सिर्फ़ मुआवजे या फ़िर अनुदान भत्ते आदि के मुक़दमे में ही ली जाती है, यानि की जितनी रकम मुक़दमे की जीत के बाद मिलेगी उसका कुछ प्रतिशत वकील अपनी फीस के रूप में लेगा। सबसे जरूरी बात ये होती है की फीस की बात बिल्कुल स्पष्ट कर लेनी चाहिए और एक बार बात तय हो जाने के बाद आनाकानी से आप ख़ुद मुसीबत में पड़ सकते हैं।
यहाँ ये बता दूँ की गरीबों और लाचार लोगों के लिए अदालत और सरका की तरफ़ से निशुल्क वकील की भी व्यवस्था होती है, इसके लिए सभी अदालात में मौजूद विधिक सेवा सहायता केन्द्र के दफ्तर में अर्जी देकर वकील प्राप्त किया जा सकता है।
यदि किस कारंवाश वकील बदलना पड़ जाया तो नए वकील से पुराने वकील की बुराई कभी ना करें , क्योंकि आप नहीं जानते की कौन सा वकील किस वकील का मित्र कौन उसके ख़िलाफ़।
यदि किसी वकील के काम से आप खुश नहीं हैं या फ़िर आपको उससे कोई गंभीर शिकायत है तो सभी अदालतों में बने बार असोसिएशन के दफ्तर में जाकर वहाँ के पदाधिकारियों से अपनी बात कह सकते हैं।
एक सबसे जरूरी बात वकील कोई भी अच्छा या ख़राब नहीं होता और हरेक वकील सिर्फ़ जीतने के लिए लड़ता है , फर्क होता है तो सिर्फ़ ज्ञान और कुव्वत का ।
यदि आप में से कोई भी कोई प्रश्न करना चाहे तो भी मुझे लिख सकते हैं मैं अपने ज्ञान के अनुरूप शंका समाधान की कोशिश करूंगा।
आज इतना ही....
गुरुवार, 13 मार्च 2008
कैसे चुने अपना वकील (कल से आगे )
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
बुधवार, 12 मार्च 2008
कैसे चुने अपना वकील ?
आज एक छोटी सी जानकारी आपसे बाँट रहा हूँ। कभी भी कोई आम आदमी जब भी किसी तरह के कानूनी पचड़े में पड़ता है तो जो पहली बात उसके जेहन में आती है वो होती है कि, कोई जानकार व्यक्ति को सम्पर्क किया जाए जो की इस झंझट से मुक्ति दिलवाए ऐसे में उसके दिमाग में सिर्फ़ एक ही व्यक्ति का ध्यान आता है वो है वकील । हालांकि वकीलों के बारे में कुछ भी कहना या बताना बिल्कुल उसी तरह से है जैसे की किसी क्रिकेट मैच के परिणाम के बारे में कोई घोषणा करना। लेकिन यदि कुछ मोटी मोटी बातें याद राखी जाएँ तो इतना तो जरूर हो सकता है की उसे बाद में जाकर ये अफ़सोस नहीं होगा की यदि इस तरह का वकील किया होता , या की अमुक आदमी को वकील के रूप में रखा होता तो शायद मुक़दमे का फैसला कुछ अलग होता॥
अदालत में जाने से पहले आपको ये तय करना है की आपका काम किस तरह का है और उसी के अनुरूप वकील भी आपको करना चाहिए । मसलन उदाहरण दे कर मैं समझाता हूँ, यदि किसी को सिर्फ़ चल्लान का, उसे भुगतने का, या फ़िर जमानत की अर्जी का, या फ़िर गवाही के लिए, अपनी वसीयत के लिए , या इसे तरह के और दूसरे कामों के लिए अदालत में जाना पड़ रहा है तो अच्छा होता है की उन वकीलों से सम्पर्क किया जाए जो इसे तरह के छोटे काम को अपने हाथों में लेते हैं। इसका पहला लाभ तो ये होगा की आप को बहुत ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे कम से कम उस तुलना में तो कम ही जो की कोई भी बड़ा वकील उसी काम के लिए लेगा। दूसरा ये की उसके पास आपके लिए समय का अभाव नहीं होगा।
यदि आपको पूरे मुक़दमे के लिए , उसकी एक एक कार्यवाही के लिए किसी वकील की जरूरत है तो फ़िर किसी भी तरह से अच्छा वकील ही करने की कोशिश करें। इसमें ध्यान रखने की बात सिर्फ़ ये है की सभी वकीलों का अपना अपना कार्यक्षेत्र होता है अपनी अपनी खासियत होती है कोई दीवानी मुक़दमे का स्पेसिअलिस्ट होता है तो कोई फौजदारी मुक़दमे का , कोई मुआवजे की मुकदमों का, तो अच्छा ये होता है की यदि किसी वकील के अनुरूप ही उसे कार्य दिया जाए तो उसका परिणाम अपेक्षित है की जयादा बेहतर आए।
क्रमशः ..........
अदालत में जाने से पहले आपको ये तय करना है की आपका काम किस तरह का है और उसी के अनुरूप वकील भी आपको करना चाहिए । मसलन उदाहरण दे कर मैं समझाता हूँ, यदि किसी को सिर्फ़ चल्लान का, उसे भुगतने का, या फ़िर जमानत की अर्जी का, या फ़िर गवाही के लिए, अपनी वसीयत के लिए , या इसे तरह के और दूसरे कामों के लिए अदालत में जाना पड़ रहा है तो अच्छा होता है की उन वकीलों से सम्पर्क किया जाए जो इसे तरह के छोटे काम को अपने हाथों में लेते हैं। इसका पहला लाभ तो ये होगा की आप को बहुत ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे कम से कम उस तुलना में तो कम ही जो की कोई भी बड़ा वकील उसी काम के लिए लेगा। दूसरा ये की उसके पास आपके लिए समय का अभाव नहीं होगा।
यदि आपको पूरे मुक़दमे के लिए , उसकी एक एक कार्यवाही के लिए किसी वकील की जरूरत है तो फ़िर किसी भी तरह से अच्छा वकील ही करने की कोशिश करें। इसमें ध्यान रखने की बात सिर्फ़ ये है की सभी वकीलों का अपना अपना कार्यक्षेत्र होता है अपनी अपनी खासियत होती है कोई दीवानी मुक़दमे का स्पेसिअलिस्ट होता है तो कोई फौजदारी मुक़दमे का , कोई मुआवजे की मुकदमों का, तो अच्छा ये होता है की यदि किसी वकील के अनुरूप ही उसे कार्य दिया जाए तो उसका परिणाम अपेक्षित है की जयादा बेहतर आए।
क्रमशः ..........
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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