गुरुवार, 13 मार्च 2008

कैसे चुने अपना वकील (कल से आगे )

जैसा की कल मैंने आप से कहा था की पहली दो बातें जो किसी को भी ध्यान में रखनी चाहिए वो ये की छोटे मोटे काम के लिए उसी के अनुरूप वकील और दूसरा ये की जो वकील जिस क्षेत्र में माहिर हो उसे उसी क्षेत्र के काम के लिए लिया जाया तो परिणाम निसंदेह बेहतर होता है , और ये फर्क मुक़दमे की पेशी के दौरान ही हो जाता है, आज बात करते हैं , वकीलों के फीस की और कुछ और भी बातें जो किसी को भी वकील करते समय ध्यान में रखनी चाहिए।

कहते है की डॉक्टर , मकेनिक, और वकील की फीस अनिश्चित और आस्मां होती है। सच तो ये है की इन सबका काम ही इनकी फीस तय करता है। लेकिन वकालत के पेशे में इन दिनों फीस लें की तीन तरह की प्रवृत्ति प्रचलित है। पहली लम्षम में, यानि पूरे काम के या मुक़दमे की फीस एक साथ, एक निश्चित रकम के रूप में। दूसरी मुक़दमे की तारीख के हिसाब से यानि जितने दिन वकील आपके मुक़दमे में पेश होगा उन दिनों के पैसे आपसे लेगा, तीसरा और अन्तिम होता है कमीसन के रूप में , और ये तीसरी तरह की फीस सिर्फ़ मुआवजे या फ़िर अनुदान भत्ते आदि के मुक़दमे में ही ली जाती है, यानि की जितनी रकम मुक़दमे की जीत के बाद मिलेगी उसका कुछ प्रतिशत वकील अपनी फीस के रूप में लेगा। सबसे जरूरी बात ये होती है की फीस की बात बिल्कुल स्पष्ट कर लेनी चाहिए और एक बार बात तय हो जाने के बाद आनाकानी से आप ख़ुद मुसीबत में पड़ सकते हैं।

यहाँ ये बता दूँ की गरीबों और लाचार लोगों के लिए अदालत और सरका की तरफ़ से निशुल्क वकील की भी व्यवस्था होती है, इसके लिए सभी अदालात में मौजूद विधिक सेवा सहायता केन्द्र के दफ्तर में अर्जी देकर वकील प्राप्त किया जा सकता है।

यदि किस कारंवाश वकील बदलना पड़ जाया तो नए वकील से पुराने वकील की बुराई कभी ना करें , क्योंकि आप नहीं जानते की कौन सा वकील किस वकील का मित्र कौन उसके ख़िलाफ़।

यदि किसी वकील के काम से आप खुश नहीं हैं या फ़िर आपको उससे कोई गंभीर शिकायत है तो सभी अदालतों में बने बार असोसिएशन के दफ्तर में जाकर वहाँ के पदाधिकारियों से अपनी बात कह सकते हैं।

एक सबसे जरूरी बात वकील कोई भी अच्छा या ख़राब नहीं होता और हरेक वकील सिर्फ़ जीतने के लिए लड़ता है , फर्क होता है तो सिर्फ़ ज्ञान और कुव्वत का ।

यदि आप में से कोई भी कोई प्रश्न करना चाहे तो भी मुझे लिख सकते हैं मैं अपने ज्ञान के अनुरूप शंका समाधान की कोशिश करूंगा।

आज इतना ही....

3 टिप्‍पणियां:

  1. वैसे तो अपन इस बात में विश्‍वास करता है कि कचहरी और अस्‍पलाल से भगवान बचायें लेकिन फिर भी आपका ब्‍लाग ज्ञानवर्घक लगा

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  2. उत्तर
    1. दुर्घटना मुआवजे के मुकदमों में अक्सर वकील या तो पहले से एक निश्चित रकम निर्धारित कर लेते हैं फीस के रूप में अन्यथा मुआवजे की मिलने वाली रकम का एक निश्चित प्रतिशत

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