गुरुवार, 19 मार्च 2009

मिलने लगा है अदालतों में हिन्दी को महत्व

ऐसा लगता है की पिछले कुछ समय से विभिन्न सरकारी विभागों और अदालतों में भी हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करने की मुहिम का सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगा है. जैसा की मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था की राजधानी की जिला अदालतों में जहाँ बरसों से सिर्फ़ अंगरेजी भाषा में ही काम काज चल रहा है वहां, पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली सरकार के राज भाषा विभाग द्वारा लगातार कई सारे प्रयास किए जा रहे हैं ताकि हिन्दी को काम काज की भाषा बनाया जा सके। इस योजना को प्रशिक्षण और प्रोत्साहन का नाम दिया गया है। इसके तहत कर्मचारियों के लिए लगातार हिन्दी प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। ऐसी ही एक पाँच दिवसीय कार्यशा का आयोजन अभी हाल ही में संपन्न हुआ था।

किंतु बहुत सी तकनीकी और प्रायोगिक कमियों के कारण इतने अथक प्रयासों के बावजूद हिन्दी अपना वो स्थान नहीं बना पा रही थी । किंतु लगता है की अब हिन्दी को सभी के द्वारा अपनाने और आत्मसात करने के लिए सख्त रुख अपनाने की बारी आ गयी है। आज ही माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश की तरफ़ से जारी दो परिपत्रों से तो ऐसा ही लगता है।

पहले परिपत्र के अनुसार कहा गया है की राजभाषा अधिनियम के अनुसार सभी परिपत्र/ सूचनाएं इत्यादि अंगरेजी एवं हिन्दी दोनों भाषाओं में एक साथ जारी किए जाने चाहिए इस लिए सभी को आदेश दिया जाता है की भविष्य में जिला न्यायालय दिल्ली के अंतर्गत आने वाले विव्हिन्न कारायालय/अनुभाग/इकाईयों द्वारा जारी परिपत्र एवं सूचनाएं अंगरेजी के साथ आवश्यक तौर पर हिन्दी भाषा में भी जारी किए जायेंगे। सभी को ये सुनिश्चित करने को कहा गया है की इस आदेश के पालन में कहीं किसी भी तरह की ढील नहीं बरती जाए। ज्ञात हो की इसी तरह कुछ समय पहले एक परिपत्र जारी करके सभी को आदेशित किया गया था की जो भी सूचनाएं, जानकारी, प्रश्न आदि हिन्दी में पूछी जाते हैं उनका उत्तर भी अनिवार्य रूप से हिन्दी में ही दिया जाए।

दूसरे और बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे परिपत्र में कहा गया है की जिला न्यायालय के सभी न्यायिक अधिकारिओं ,प्राश्निक अधिकारियों एवं अधीक्षकों को निर्देश दिया जाता है की वे अपने अंतर्गत कार्यरत कार्मचारियों की वार्षिक गोपनीय सूचना (जिसे आम तौर पर सी आर कहा जाता है ) भरते समय हिन्दी भाषा के ज्ञान व प्रयोग के कॉलम को निश्चित तौर पर भरें। इसके अतिरिक्त वे अपने अन्तर्गर कार्यरत सभी कर्मचारियों को सूचित करें की जो भी कर्मचारी सरकारी कामकाज में हिन्दी भाषा का अधिक प्रयोग करेगा उसके कार्य को वार्षिक गोपनीय सूचना में विशेष योग्यता का दर्जा दिया जायेगा।

ये दोनों परिपत्र अपने आप में अदालतों में हिन्दी को बढावा दिए जाने के प्रयासों में मील का पत्थर साबित होंगे। इससे प्रोत्साहित होकर बहुत से कर्मचारियों ने हिन्दी में काम करने में अपनी खुशी और प्रतिबधित्ता दिखाई है और मुझे सहित कई लोगों ने तो अपने कंप्युटर में हिन्दी फॉण्ट उपलब्ध करवानी की गुजारिश भी कर दी है.

5 टिप्‍पणियां:

आपकी टिप्पणियों से उत्साह ...बढ़ता है...और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा भी..। पोस्ट के बाबत और उससे इतर कानून से जुडे किसी भी प्रश्न , मुद्दे , फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहें तो भी स्वागत है आपका ..बेहिचक कहें , बेझिझक कहें ..