अदालतों में सुधार के कई आमूल चूल परिवर्तनों पर कार्य द्रुत गति से चल रहा है। इन दिशा निर्देशों में न सिर्फ़ अदालती क्रियाकलापों, कार्यवाहियों, न्यायिक अधिकार्यिओं बल्कि अदालत में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी कई कड़े नियम कायदे क़ानून बनाए जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है की सिर्फ़ सख्त क़ानून और उपाय ही किए जा रहे हैं बल्कि उनकी सभी समस्याओं और दैनिक कठिनाईयों को ध्यान में रखते हुए, बाकायदा उनका अध्ययन करके कुछ विस्तृत उपायों को अपनाने हेतु नए कदम उठाये गए हैं।
पिछले वर्ष सम्पन्न हुए सम्मलेन में न्यायिक अधिकारिओं की अनुशंषा को ध्यान में रख कर माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल में अध्नास्थ न्यायालयों के कर्मचारियों के लिए कई सारे दिशा निर्देश जारी किए हैं। इनमें से कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी माने जा रहे हैं।
१। ज्ञात हो की अभी दिल्ली की सभी ९ जिला अदलातें , वर्तमान में मौजूद पाँचों अदालतों में चल रही हैं। काफी पहले से चली आ रही किसी निश्चित नीती की अभाव में अब तक किसी भी कर्मचारी का तबादला कहीं भी कर दिया जाता था। इस प्रव्रत्ति से न्यायिक अधिकारी भी वंचित नहीं थे, किंतु अब ऐसा नहीं हो सकेगा। नए दिशा निर्देशों के अनुसार ये आदेश दिया गया है की ये सुनिश्चित किया जाए की सभी कर्मचारियों और यथा सम्भव न्यायिक अधिकारियों को भी उनके निवास स्थान के नजदीक पड़ने वाली अदालतों के निकट ही नियुक्त किया जाए ताकि आने जाने में नष्ट हुए समय के कारण उनकी कार्यक्षमता पर दुष्प्रभाव न पड़े।
२। नए आदेश के मुताबिक प्रति पाँच अदालत पर एक प्राश्निक अधिकारी और एक जन संपर्क अधिकारी की नियुक्ति की जाए। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्यूंकि वर्तमान में इन उच्च स्तर के अधिकारिओं की कमी के कारण बेहतर प्राश्निक प्रणाली और अनुशाशन , आपसी तालमेल , सूचनाओं का आदान प्रदान आदि में काफी कठिनाई होती है। अधिक अधिकारियों की नियुक्ती से कर्मचारियों की प्रोंनात्ति की संभावनाएं बढ़ने से ये उनके लिए एक सकारात्मक कदम साबित होगा।
३ एक और बेहद महत्वपूर्ण आदेश के मुताबिक अब तक चल रही प्रणाली के बिल्कुल अलग जाकर पहली बार उच्च न्यायालय की तरह अधीनस्थ न्यायालय के प्राश्निक कार्यों के लिए अलग से रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार के पद की अनुशंषा की गयी है। हलाँकि अभी ये तय नहीं हुआ है की इस पद पर नियुक्ति किसकी और कहाँ से की जायेगी, वैसे सूत्रों की माने तो विभागीय परीक्षा के आधा पर विधि स्नातक की योग्यता वाले कर्मचारियों के बीच से ही इन पदों को भरा जायेगा।
४। नए दिशा निर्देशों के मुताबिक सभी न्यायिक अधिकारियों को निर्देशित किया गया है की वे उन कर्मचारियों का विशेष ध्यान रखें जो अकर्मठ है, अपने काम के प्रति इमानदार नहीं हैं तथा जिन्हें अपने काम का ;पूर्ण ज्ञान नहीं है। इस नए आदेश के मुताबिक ऐसे कर्मचारियों पर न सिर्फ़ नजर रखने को कहा गया है बल्कि उन्हें पूरी सख्ती से नौकरी से बाहर निकालने की बात कही गयी है।
आगे कल जारी .................................
इंतजार रहेगा ... इन कोशिशों से फायदा होने का।
जवाब देंहटाएंbadhiya hai. aapne saara kuch blog par likh diya. aisa kuch likhiye jo main abhi tak nahi lik paya hu
जवाब देंहटाएंमहा नायक न्याय ज्ञाता
जवाब देंहटाएंन्याय पालिका के भाग्य बिधाता
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मेरी और आप की पूर्व की कहानी एक सी क्यों है ?
aap sabka bahut bahut dhanyavaad, aur haan ambreesh bhai, shaayad aapkaa dil mujhe se pehle hee jud gaya ho tabhi kahanee ek see ho gayee hai.
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