अदालतों में कभी नहीं आने वाले के मन में अदालतों का वही स्वरुप होता है जो वे आम तौर पर सिनेमा या टी वी में देखते हैं और कमोबेश दिखने में अदालतें होती भी वैसी ही हैं। लेकिन अब शायद ऐसा नहीं होगा कम से कम राजधानी की जिला अदालतों में तो नहीं ही होगा.
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही मैं लागू किए गए दिशा निर्देश के अनुसार जल्दी ही अदालतों का मौजूदा चेहरा बदलने जा रहा है, इसकी कवायद शुरू हो चुकी है और राजधानी की सभी पाँचों अद्लातों में नयी अदालतों के बनने का काम पुरे जोश खरोश के साथ शुरू हो चुका है।
१ इसके तहत पहला काम है, मौजूदा बड़े डायसन को हटा कर छोटे और बिल्कुल नीचे और छोटे डायसन का निर्माण । दरअसल होता या है अभी जो डायस बने हुए हैं वे अदालती कमरे का लगभग ३० से ४० प्रतिशित भाग घेर हुए हैं और वे काफी ऊँचे हैं। इस वजह से वकीलों, गवाहों तक के लिए ये देख पाना मुश्किल होता है की न्यायाधीशों के साथ बैठे पह्स्कार (रीडर ) , तथा आशुलिपिक (स्टेनो ) क्या लिख या करे रहे नहीं. बदलाव के बाद इन डायासों से अदालत के कमरे का सिर्फ़ १० प्रतिशत भाग ही उपयोग ,में आयेगा जिससे बांकी बचे ९० प्रतिशत भाग को वकीलों, गवाहों एवं अन्य सम्बंधित लोगों के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा। इसके साथ ही न्यायाधीशों के बैठने के लिए ज्यादा आरामदायक कुर्सियों एवं मेज का काम भी किया जा रहा है।
२। दूसरा आदेश है की अदालतों को वृद्धों और विकलांगों के अनुकूल बनाया जाए। मसलन अदालत भवन जमें इस तरह के बदलाव किए जाएँ की वृद्धों और विकलांगों को उन तक पहुँचने में आसानी हो सके । इसके लिए ढलान वाली सीढियों का काम भी शुरू हो चुका है। नए निर्देश के मुताबिक दुर्घटना क्लेम वाली अदालतें (ऍम ए सी टी ) भूतल पर ही लगाई जाएँ।
३। तीसरा और बेहद प्रमुख निर्देश ये है की सभी अदालतों में एक बड़ी सूचना पट्टिका लगाई जाए। इस सूचना पट्टिका में आम लोगों के लिए, गवाहों के लिए ,मुलजिमों के लिए हिन्दी एवं अंगरेजी दोनों भाषाओं में उनसे सम्बंधित उपयोगी बातें और निर्देश लिखी होंगी । उदाहरण के लिए, अभी अधिकाँश गवाहों को नहीं पता होता की गवाही देने के लिए आने पर सरकार यात्रा भत्ता देती है। सूचना पट्टिका पर लिखे होने से सबको आसानी से इस बात का पता चल सकेगा और वे लाभान्वित हो सकेंगे।
४। उन अदालतों में जहाँ बलात्कार पीड़ित युवती/महिला की गवाही होनी है वहां इस तरह की स्क्रीन लगाए जाने का निर्देश दिया गया है की गवाही के दौरान पीडिता का चेहरा मुलजिम न देखने पाए ताकि उसके किसी भी तरह से भयभीत होने की गुंजाइश न रहे।
५। गवाहों के लिए अलग से बेहद आरामदायक और सुरक्षित कमरे बनाये जाने के भी निर्देश दिए गए हैं। मौजूदा समय में जबकि गवाहों पर हमले की वारदातें बेहद तेजी से बढ़ गयी हैं ऐसे में ये निर्देश काफी महतवपूर्ण माने जा रहे हैं।
६। सभी अदालतों में एक शिकायत , सुझाव, और प्रार्थना पत्र बक्सा रखे जाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इस बक्से में उस अदालत में विचाराधीन मुकदमें से सम्बंधित कोई भी शिकायत और प्रार्थना पत्र को डाला जा सकेगा जिसे एक निश्चित समय पर प्रतिदिन निकाल कर न्यायाधीश के सामने रखा जायेगा।
७। पूरे अदालत परिसर में एक ही तरह की इलेक्ट्रोनिक घड़ियों को लगाने का निर्देश भी जारी किया गया है, ताकि सभी अदालती कार्यवाहियों में समय का तालमेल बिल्कुल ठीक बना रहे।
इनके अलावा आधुनिक तकनीक से युक्त सी सी टी वी कैमरे, सभी अदालतों के सामने और पूरे अदालत परिसर में वाद स्थिति सूचना पट्टिका ( जो ये बताएगी की अमुक अदालत में इस समय अमुक मुकदमें की सुनवाई की जा रही है ) बायो मेट्रिक मशीनें, आधुनिक माईक्रोफोन एवं स्पीकर और भी बहुत कुछ लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इन सब पर karkardoomaa कोर्ट सहित अन्य सभी जिला अदालतों में काम शुरू हो चुका है।
कल बात करेंगे की कर्मचारियों के लिए क्या नया हो रहा है........................
वाह! इंतज़ार रहेगा ऐसी अदालतों का।
जवाब देंहटाएंबशर्ते न्याय प्रदान करने की गति में इज़ाफा हो!!
इन सुविधाओं के बाद न्याय प्रक्रिया में क्या अंतर आता है ... यह देखने वाली बात होगी।
जवाब देंहटाएंaap sono kaa bahut bahut dhanyavaad. padhne aur saraahne ke liye.
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