इन दिनों , न्यायपालिका पर बढते बोझ और भविष्य में उनके आगे आने वाली बडी चुनौतियों से निपटने के लिए , सरकार , प्रशासन और खुद न्यायपालिका के द्वारा बहुत सी महात्वाकांक्षी योजनाएं चलाई जा रही हैं । पिछले कुछ वर्षों में प्रयोग के तौर पर , लोक अदालत , सांध्य कालीन अदालत, प्ली बारगेनिंग , मध्यस्थता केंद्र जैसे प्रयोगों को न सिर्फ़ शुरू किया गया बल्कि सफ़लतापूर्वक उनका संचालन किया जा रहा है । सबसे सुखद बात ये है कि सभी योजनाओं में सफ़लता का दर अपेक्षा से कहीं अधिक निकला । यही कारण है कि इस उपलब्धि से प्रोत्साहित होकर मिशन मोड जैसी भगीरथी योजना क्प शुरू किया गया है ।
इसके पहले चरण में सभी अदालती दस्तावेज़ों को डिज़िटलाईज़्ड करने की कवायद शुरू की जा चुकी है । अभी हाल ही में दिल्ली की समस्त अदालतों से इस बाबत सूचना मांगी गई , कि वे प्रतिदिन आदेश के लिए ,अंतिम निर्णय के लिए , अन्य कार्यवाहियों के लिए औसतन कितना कागज़ खपत करती है । इन सूचनाओं के आधार पर ही अदालत के सभी दस्तावेज़ों को ई दुनिया में सहेज़ दिया जाएगा । ज्ञात हो कि देश की बहुत सी अदालतों पहले ही कागज़ रहित ई अदालतों की शुरूआत हो चुकी है , जहां पूरी तरह से अदालती कार्यवाही को कंप्यूटरों द्वारा ही किया जा रहा है और कदियों की पेशी तथा सुनवाई वीडियो कांफ़्रेंसिंग के ज़रिए की जा रही है ।
माना जा रहा है कि अदालतों के सभी कागज़ातों व दस्तावेज़ों के डिजिटलाइजेशन की , प्रक्रिया एक एतिहासिक पहल साबित होगी । अदालतों को ई दस्तावेज़ के रूप में सहेजे जाने से बहुत सारी बातों में सहायता मिल सकेगी । वर्तमान में अदालती दस्तावेज़ो को सुरक्षित रख पाना वो भी लंबे अरसों तक , यही एक बडी समस्या है । दीवानी , फ़ौज़दारी व अन्य वादों के मुकदमे से संबंधित द्स्तावेज़ों को अदालती अभिलेखागार में सहेज़े जाने की मियाद भी अलग अलग है । कई दस्तावेज़ों को बहुत लंबे समय तक तो कईयों को हमेशा के लिए सुरक्षित रखना होता है । भारत में न्यायव्यवस्था के बहुस्तरीय होने के कारण , अपील और अपील के निस्तारण में लगने वाला लंबा समय , आदि के कारण मुकदमों से जुडे दस्तावेज़ों को सहेजा जाना जरूरी होता है ।
एक बार स्कैन करके अंतर्ज़ाल पर उन दस्तावेज़ों को डाल देने से ,न सिर्फ़ पारदर्शिता , न्यायिक प्रकिया व कार्यवाहियों तक आम जन की सीधे व त्वरित पहुंच हो सकेगी । सूचनाओं का ये भंडार न सिर्फ़ न्यायिक प्रक्रिया को गतिमान करने में सहायक होगा बल्कि भविष्य में ई सुलभता के कारण लोगों को सुलभ भी हो सकेगा । देखना ये है कि भविष्य में अदालतों को तकनीक से लैस करने का उनकी लक्ष्य प्राप्ति में कितना कारगर साबित होता है ।
रिकार्ड-डिजीटाइज़ेशन तो ठीक पर वहां काम करने वाले कर्मचारियों की बूचड़खाने में काम करने वालों जैसी मानसिकता को कोई कैसे और कब बदलेगा
जवाब देंहटाएंकाजल भाई ,
जवाब देंहटाएंपहली बात मैं खुद अदालत का कर्मचारी हूं , दूसरी बात बूचडखाने में काम करने वालों की मानसिकता कैसी होती है नहीं जानता , इसलिए तुलना करके देख भी नहीं सकता । जहां तक दिल्ली के अधीनस्थ न्यायलय के कर्मचारियों की बात है तो यकीनन ये स्थिति वैसी नहीं है जैसी आप बता रहे हैं । अपने विचार बांटने के लिए आपका शुक्रिया