राजधानी दिल्ली में दिनोंदिन बढती सडक दुर्घटनाओं पर अदालतों ने बहुत ही गंभीर रुख अख्तियार कर लिया है। अभी हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राजधानी में बढ रही दुर्घटनाओं के मद्देनज़र . निचली अदालतों, पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों , न्यायिक प्रक्रियाओं को एक साथ ही बहुत से निर्देश दिये हैं। अब तक चली आ रही व्यवस्था के तहत , दुर्घटना के बाद पुलिस सिर्फ़ एक ही तरह का मुकदमा दर्ज़ करती है ।और प्राथमिकी , चोटिल या म्रत व्यक्ति की चिकित्सकीय रिपोर्ट आदि की प्रति मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम पंचाट में जमा कर दी जाती है। जहां से इच्छित व्यक्ति , जो भी क्लेम करना चाहता है तो उस प्रति को प्राप्त कर मुकदमा दायर करता है।इस वर्तमान व्यवस्था में दो बहुत ही बडी खामियां थी । पहली तो ये कि जानकारी के अभाव में आम लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि उनके क्लेम के लिये सबसे जरूरी कागजात पंचाट में जमा हैं । दूसरा ये कि यदि किसी तरह से उन्हें पता चल भी जाता है तो उसे प्राप्त करने की जद्दोजहद पीडित के लिये बहुत ही कठिन होता है। न्यायालय ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए नयी व्यवस्था शुरू की है। नए निर्देशों मे से जो प्रमुख हैं वे इस प्रकार हैं।अब किसी भी दुर्घटना के बाद मोटर वाहन दुर्घटना अधिनियम के धारा १५८ (६) के तहत पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि संबंधित कागजातों को जमा करने के बाद , पंचाट न्यायालय उन्हें एक निश्चित तारीख देते हैं जिस तारीख पर उन्हें संबंधित सभी पक्षों,,यानि दावाकार, चोटिल या म्रत व्यक्ति, ..दूसरे पक्ष के चालक, वाहन के मालिक और इंश्योरेंस कंपनी की उपस्थिति सुनिश्चित करे। इसका अर्थ ये हुआ कि अब सारी जिम्मेदारी पुलिस पर डाली गयी है ताकि कोई भी पीडित मुआवजे से वंचित न रहे । इसका दूसरा लाभ ये हो रहा है कि जैसे ही सभी पक्ष उपस्थित हो जाते हैं , पंचाट अपनी पहल करते हुए उन्हीं जांच प्रक्रियाओं को दावा याचिका के रूप में परिवर्तित करके उन्हें मुआवजा दिलवा देती हैं। इससे जहां त्वरित न्याय का उद्देश्य पूरा हो रहा है वहीं , वकील, मुकदमे आदि के खर्च से भी पीडित को छुटकारा मिल जाता है ।राजधानी में हो रही दुर्घटनाओं मे सबसे अधिक ,दुर्घटनाओं के लिये कुख्यात हो चुकी ्दिल्ली की ब्लू लाईन बसों के परिचालन, से संबंधित कई दिशा निर्देशों और समय समय पर कई कानूनों के बावजूद स्थिति में बहुत ज्यादा फ़र्क नहीं पडता देख..न्यायालय ने नए आदेशों के तहत ये आज्ञा दी कि अब किसी भी ऐसी दुर्घटना में जिसमें कोई गंभीर रूप से कोई घायल होगा उसमें पचास हजार की राशि....और यदि किसी की दुर्घटना में ही मौत हो जाती है तो उसमें एक लाख रुपए की रकम ..संबंधित बस के मालिक को अदालत में जमा करवानी होगी ..इस राशि के जमा किये बगैर ..वाहन को पुलिस के जब्तीकरण से नहीं छोडा जाएगा । सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस राशि को बिना विलंब के ..पीडित को दिये जाने की व्यवस्था की जाएगी।इसके अलावा सभी दुर्घटना वादों, दावा याचिकाओं, न्यायिक व्यवस्थाओ,प्रक्रियाओं और इससे जुडे तमाम पहलुओं पर उच्च न्यायालय निरंतर निगाह रखे हुए है। सबसे अच्छी बात ये है कि इन नयी व्यवस्थाओं के सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे हैं॥
बुधवार, 28 अक्तूबर 2009
सडक दुर्घटनाओं पर गंभीर होती अदालतें...
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ब्लू लाइन तो कहर बन चुकी है..दिल्ली के अंदर इनका इलाज़ बहुत ही ज़रूरी है दुर्घटना रोकने के लिए अदालत का प्रयास सराहनीय है साथ ही साथ दिल्ली वासियों से भी अनुरोध है की वो भी अपने उपर पूरा कंट्रोल रखे वहाँ चलते समय और रोड पर चलते समय...बहुत बढ़िया चर्चा...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंभारत मै यह मुम्किन तो नही, लेकिन अगर हो सके तो, सब से पहले दुर्घटना वाली जगह का नकशा बनाना चाहिये एक साधारण से कागज पर, जिसे देख कर पता चले कि गलती किसी की है, फ़िर दुर्घटना स्थल के चित्र अलग अलग ऎंगल से लेने चाहिये, यह पक्के सबूत होते है आदालात मै, लेकिन हमारे भारत मै सडक के लिये कोई कानून ही नही , वाहन के लिये कोई नियम ही नही... बस सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है.
जवाब देंहटाएंmujhe yeh lekh bahut achcha laga.........
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