भारत का राष्ट्रीय चिह्न |
इधर चारों तरफ़ सिने अभिनेता आमिर खान के नए टीवी शो सत्यमेव जयते की चर्चा थी तो इसी बीच दिल्ली की जिला अदालतों में जारी किया गया एक निर्देश का विषय भी यही था - सत्यमेव जयते । जी नहीं इस सत्यमेव जयते का संबंध सीधे सीधे राष्ट्रीय चिह्न के प्रयोग व उपयोग से था ।
अशोक चिह्न
अशोक चिह्न भारत का राजकीय प्रतीक है। इसको सारनाथ में मिली अशोक लाट से लिया गया है। मूल रूप इसमें चार शेर हैं जो चारों दिशाओं की ओर मुंह किए खड़े हैं। इसके नीचे एक गोल आधार है जिस पर एक हाथी के एक दौड़ता घोड़ा, एक सांड़ और एक सिंह बने हैं। ये गोलाकार आधार खिले हुए उल्टे लटके कमल के रूप में है। हर पशु के बीच में एक धर्म चक्र बना हुआ है। राष्ट्र के प्रतीक में जिसे २६ जनवरी १९५० में भारत सरकार द्वारा अपनाया गया था केवल तीन सिंह दिखाई देते हैं और चौथा छिपा हुआ है, दिखाई नहीं देता है। चक्र केंद्र में दिखाई देता है, सांड दाहिनी ओर और घोड़ा बायीं ओर और अन्य चक्र की बाहरी रेखा बिल्कुल दाहिने और बाई छोर पर। घंटी के आकार का कमल छोड दिया जाता है। प्रतीक के नीचे सत्यमेव जयते देवनागरी लिपि में अंकित है। शब्द सत्यमेव जयते शब्द मुंडकोपनिषद से लिए गए हैं, जिसका अर्थ है केवल सच्चाई की विजय होती है।दिल्ली प्रशासन ने पिछले दिनों पाया कि , अदालत सहित अन्य बहुत सारे सार्वजनिक व सरकारी संस्थानों में जहां भी राष्ट्रीय चिह्न का उपयोग किया जा रहा है वहां एक भूल आमतौर पर देखने सुनने को मिल रही है । और वो है इस राष्ट्रीय चिह्न के नीचे देवनागिरी में लिखा सत्यमेव जयते , यानि सत्य की जीत होती है । अभी कुछ समय पहले सभी विभागों एवं अदालत प्रशासन को निर्देश जारी किए गए थे कि वे सुनिश्चित करें कि जहां कहीं भी राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग या उपयोग किया जा रहा हो वहां अनिवार्य रूप से सत्यमेव जयते भी लिखा होना चाहिए ।
अब नए निर्देशों के मुताबिक सबसे ये पूछा गया है कि , नए निर्देशों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए कौन कौन से कदम उठाए गए हैं व इस विषय पर वर्तमान स्थिति क्या है । ज्ञात हो कि अदालतों में अदालत कर्मियों को दिए गए नए बायोमैट्रिक पहचान पत्र में अंकित राष्ट्रीय चिह्न में सत्यमेव जयते उपस्थित है । अन्य सभी संभावित स्थानों पर भी इसकी सुनिश्चितता तय की जा रही है । समाज से अदालत तक आज का दिन सत्यमेव जयते के नाम रहा ।
सत्यमेव जयते में बच्चियों के भ्रूण हत्या पर शोर मचाया जा रहा है और शोर मचाने वाले और कोई नहीं वो लोग हैं जिन्होंने अपनी जरूरत से लाखों गुना धन अपने पास रखा है ...दरअसल हर इंसान आज भ्रूण के परिपक्व होने के बाद जन्म लेकर भी कौन सा जिन्दा रह पा रहा है...दरअसल बच्चियों के भ्रूण हत्या को रोकना है तो समाज से बेबशी व लाचारी को रोकना होगा...मुकेश अम्बानी जैसों को 6000 करोड़ का घर बनाने से रोकना होगा...शरद पवार जैसों को अरबपति बनने तथा मंत्री बनने से रोकना होगा....बच्चियों के जन्म से लेकर शादी होने तक उसकी रक्षा का समुचित व कारगर प्रबंध करना होगा...क्या आमिर खान ने कभी अपने फिल्म के माध्यम से या समाज में जमीनी स्तर पर ये जांचने की कोशिस की है की बच्चियों के बाप व मां को अपनी बच्चियों की सुरक्षा के लिये क्या-क्या पापड़ बेलने परते है उस देश में जिस देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री भी कहीं न कहीं देह व्यापारियों व लड़कियों के बेचने का धंधा करने वालों की बैशाखी के सहारे इस पद पर टिके हुए हैं और किसी भी कुकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की क्षमता तक नहीं रखते ....टीवी पर चिल्लाने से बेहतर होगा की आमिर खान समाज में लड़कियों के दलाल और देह व्यापार के अन्तराष्ट्रीय दलालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो इसके लिये जमीनी स्तर पर कुछ करें अपने धन का प्रयोग कर...ऐसा अगर कोई भी करेगा तो पूरी इंसानियत उसका ऋणी रहेगा...
जवाब देंहटाएंआप ठीक कह रहे हैं जय कुमार जी किंतु ये पोस्ट उस धारावाहिक के विषय में नहीं है ये एक सरकारी निर्देश की सूचना भर है
जवाब देंहटाएंजानकारी से परिपूर्ण बेहद ज़रूरी पोस्ट। Thanks Ajay ji.
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