पिछले दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय पर लगातार दो बार हुए आतंकी हमलों के बाद उच्च न्यायायलय के साथ साथ दिल्ली की सभी अधीनस्थ न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चाक चौबंद करने की कवायद युद्ध स्तर पर शुरू हो चुकी है ।ज्ञात हो कि पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली की दो अदालतों पर फ़िदायीन हमलों की धमकी की जानकारी भी दी थी ।
इस बाबत दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक के बाद सभी अस्थाई व्यवस्थाओं को दरकिनार करते हुए न सिर्फ़ अदालत परिसर ,सभी प्रवेश व निकास द्वारों के साथ साथ अदालत भवन के कॉरिडोर तक को सीसीटीवी कैमरों की ज़द में लाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है ।दिल्ली की पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी जिला की अधीनस्थ अदालत , कडकडडूमा न्यायालय में न सिर्फ़ मुख्य प्रवेश द्वारों पर स्थाई केबिन ,मचान और सुरक्षा जांच के लिए केबिन आदि के निर्माण का कार्य बहुत तेज़ी से चल रहा है । पहले ही बहुस्तरीय पार्किंग ,सुविधा एवं सूचना केंद्र ,ई अदालतों और कागज़रहित अदालतों के निर्माण एवं संचालन का कार्य बखूबी किया जा रहा है ।
यहां ये उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप न सिर्फ़ अदालत में आने जाने वालों की पहचान , उन्हें पास लेकर प्रवेश देने की प्रक्रिया , गवाही देने के लिए आए गवाहों के लिए अदालत कक्ष के बाहर सुरक्षा केबिन आदि जैसी योजनाओं के अलावा ,वीडियो कॉंफ़्रेंसिंग युक्त ई अदालतों का निर्माण जैसी क्रांतिकारी योजनाओं पर भी काम चल रहा है । जो भी हो , आने वाले समय में अत्याधुनिक तकनीक , संसाधनों और व्यवस्थाओं के साथ अदालतें आम नागरिकों को न्याय के लिए कितनी सुलभता और सुविधा मुहैय्या करा पाते हैं ये देखने वाली बात होगी ।
यहां ये उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप न सिर्फ़ अदालत में आने जाने वालों की पहचान , उन्हें पास लेकर प्रवेश देने की प्रक्रिया , गवाही देने के लिए आए गवाहों के लिए अदालत कक्ष के बाहर सुरक्षा केबिन आदि जैसी योजनाओं के अलावा ,वीडियो कॉंफ़्रेंसिंग युक्त ई अदालतों का निर्माण जैसी क्रांतिकारी योजनाओं पर भी काम चल रहा है । जो भी हो , आने वाले समय में अत्याधुनिक तकनीक , संसाधनों और व्यवस्थाओं के साथ अदालतें आम नागरिकों को न्याय के लिए कितनी सुलभता और सुविधा मुहैय्या करा पाते हैं ये देखने वाली बात होगी ।
यह तो बहुत अच्छी बात है जी...
जवाब देंहटाएंआपको शायद बुरा लगे मगर क्या करू सच कहने का आदी हूँ ! मेरा जो अपना ओबजर्वेशन है, कोर्टों की चुस्त-दुरस्त सुरक्षा में सबसे बड़े बाधक लायर लोग हैं, अपने को खुदा की टॉप समझने में ज़रा भी देरी नहीं करते ! बाहर से फाइलों इत्यादि का बण्डल लेकर जब कोर्ट परिसर में घुसते है तो अगर पोलिस वाले ने ज़रा इन्हें चेक करने की गुस्ताखी की नहीं कि लगे अपनी लायरी झाड़ने ! ये जानते हुए भी कि कोई भी असामाजिक तत्व लायर के वेश में घुस सकता है !
जवाब देंहटाएंटॉप को कृपया तोप पढ़ा जाए !
जवाब देंहटाएंउपरोक्त अनुभव मैंने उ.प. का बताया मगर कमोवेश हर राज्य में यही स्थिति है! जिसकी वजह से सुरक्षा कर्मी भी ढील बरतते है !
जवाब देंहटाएंआपके ..इसमें डिलीट का ओपसन नहीं आता वरना इतनी सारी टिप्पणियों की बजाये प्रथम टिपण्णी को ही डिलीट कर उसकी जगह नै टिपण्णी चस्पा कर देता :)
जवाब देंहटाएंआपको शायद बुरा लगे ...हा हा हा का गोदियाल साहब ..हम प्राणी जरा भिन्न किसम के हैं .बिल्कुल नहीं बुरा लगा .....हम कौनो ओकील थोडबे हैं ...अरे करमचारी हैं जी सरकारी करमचारी । निष्कर्ष पर सोध चालू होने की संभावना है घनघोर संभावना ।
जवाब देंहटाएं