अभी हाल ही में जिला एवं सत्र न्यायाधीश कार्यालय द्वारा जारी परिपत्र में दिल्ली की सभी जिला अदालतों को ये निर्देश दिया गया है कि अब भविष्य में ये सुनिश्चित किया जाए कि जहां जहां भी राष्ट्रीय चिन्ह का उपयोग किया जाएगा उन सभी स्थानों पर स्पष्ट रूप से उस राष्ट्रीय चिन्ह के नीचे , देवनागिरी लिपि में " सत्यमेव जयते " अंकित होना चाहिए ।
परिपत्र में उल्लेख किया गया है कि , उन तमाम स्थानों , जैसे , कोर्ट फ़र्निचर , मोहरें , स्टेशनरी , स्टिकर्स , पत्र एवं लेटर हैड , परिचय पत्र एवं विजिटिंग कार्ड आदि , सभी पर जहां भी राष्ट्र चिन्ह का अंकन हो रहा है अथवा किया जाना है , उन सबके नीचे "सत्यमेव जयते " लिखा होना अनिवार्य है । ये पाया गया था कि पिछले कुछ समय में राष्ट्रीय चिन्ह के नीचे सत्यमेव जयते भूलवश छूट रहा था ।ज्ञात हो कि राष्ट्रीय चिन्ह के उपयोग करते समय ये ध्यान रखना आवश्यक होता है कि स्तंभ के तीनों शेर ( मूल रूप से चार शेर हैं ) ,नीचे अश्व और वृष की आकृति बीच में अशोक चक्र और सबसे नीचे देवनागिरी सत्यमेव जयते का उल्लेख किया गया है ।
अजय कुमार झा जी, बहुत अच्छा कदम है. महत्वपूर्ण सूचना भी. काश! देश के सभी राज्यों की आदालतों में अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी के साथ ही एक क्षेत्रीय भाषा में भी सभी प्रकार केसों के दस्तावेज जमा करवाने की व्यवस्था हो और साथ में हर केस में आरोपित व्यक्ति को जिस भाषा का ज्ञान हो उस ही भाषा में केस से संबंधित दस्तावेज दिए जानने का नियम हो और कार्यवाही चले.
जवाब देंहटाएंरमेश कुमार जी ,
जवाब देंहटाएंये सच में ही एक बहुत बडी विडंबना है कि आज साठ वर्षों के बाद भी सरकारी कामकाज , न्यायपालिका , विज्ञान , शोध आदि के क्षेत्र में हिंदी की घोर उपेक्षा ही की जा रही है । हालांकि हिंदी प्रदेशों जैसे , बिहार , उत्तर प्रदेश , राजस्थान , हरियाणा आदि में अदालती कामकाज हिंदी में किया जाता है । किंतु पूरे देश की अधिकांश अदालतों में कामकाज की भाषा अंग्रेजी ही है ।
बहुत बढ़िया कदम। ये भी ध्यान रखा जाय कि राष्ट्रीय चिन्ह नहीं राष्ट्रीय "चिह्न" लिखा जाय।
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