मंगलवार, 7 जून 2011

रामलीला मैदान कांड के विरोध में कल कडकडडूमा अदालत (दिल्ली) में वकील हडताल पर




अब विरोध की आवाज़ फ़ैलने लगी है और न सिर्फ़ आम आदमी बल्कि अभिनेता , विद्यार्थी, और प्रबुद्ध वर्ग भी सरकार की गलत नीतियों और आचरण के खिलाफ़ लामबंद हो रहा है । आज अदालत में वितरित किए गए एक सूचना पत्र में कडकडडूमा बार एसोसिएशन ने अदालत प्रशासन को इस बाबत बताया है ।

पत्र के अनुसार , कडकडडूमा बार एसोसिएशन के कल यानि आठ जून को , रामलीला मैदान में दिल्ली पुलिस एवं दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के ईशारे पर की गई बर्बरतापूर्ण कृत्य के विरोध में एक दिन न्यायालय की कार्यवाहियों में भाग नहीं लेने के फ़ैसला किया है । विशेष परिस्थितियों और जरूरी जमानत याचिकाओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के अलावा सभी अधिवक्ता हडताल पर रहेंगे । ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही इस घटना पर आए समाचारों पर स्वत: संज्ञान ले कर सरकार से दो सप्ताह के भीतर इसका जवाब मांगा है ।


कल यानि आठ जून को ही , अन्ना हज़ारे ने भी एक दिन के अनशन की घोषणा कर रखी है और बावजूद इसके कि जंतर मंतर पर सरकार ने इसके लिए रोक लगा दी है , ऐसे में अधिवक्ताओं का उसी दिन हडताल का फ़ैसला सरकार के लिए बहुत बडी मुसीबत खडी करने वाला है । अब आने वाला समय ही बताएगा कि ये माहौल सरकार को किस ओर ले जाता है । 

9 टिप्‍पणियां:

  1. ठीक बा .बड़ी 'कोरट'ने पहले ही डंडा कर रखा है ,अब ई लोग भी जीना हराम कर देंगे !

    जवाब देंहटाएं
  2. स्तुति ..
    अबे बेटवा ..हम ई फ़ोटो में नहीं दिखाई देंगे तुमको :) :) :) लो टिप्पणी में दिखाई दे जाएंगे देखो

    जवाब देंहटाएं
  3. वाकई गर्मी बहुत है। वैसे भी अदालतों में काम करना मुश्किल हो रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  4. किसी भी विरोध के लिए बंद/हड़ताल गलत तरीका है! विरोध करना है, काली पट्टी बांधे! एक घंटे ज्यादा कार्य करें।
    अदालतो मे भ्रष्टाचार ज्यादा है, हर टेबल पर रिश्वत देनी होती है। उस पर रोक लगायें।

    आपकी इस हड़ताल से बेचारे उन मुवक्कीलो का क्या होगा, जिन्हे बड़ी मुश्किल से तारीख मीली है, तीन महीने छः महीने का और इंतजार?

    आप मुझे कांग्रेसी, सोनिया भक्त, देश-द्रोही, भ्रष्टाचारी,सेक्युलर, जालीम सरकार का समर्थक मानने के लिए स्वतंत्र है।

    जवाब देंहटाएं
  5. Bahut jaruri hai aise kadam uthane chahiye, Magar Hadtal ka bhi tarika badla na chahiye

    जवाब देंहटाएं
  6. आशीष जी ,
    आपकी बातों और विचारों से पूर्णतया सहमत हूं । हालांकि बार एसोसिएशन की तरफ़ से इस बात की पूरी व्यवस्था की गई है कि मुवक्किलों को परेशानी न हो लेकिन हां , निश्चित रूप से अब तरीका बदलने का समय भी आ गया है ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बुद्धिजीवी वर्ग सही बात का समर्थन कर रहा है...जानकर अच्‍छा लगा

    हंसी के फव्‍वारे

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.

    दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?

    मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.

    मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों से उत्साह ...बढ़ता है...और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा भी..। पोस्ट के बाबत और उससे इतर कानून से जुडे किसी भी प्रश्न , मुद्दे , फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहें तो भी स्वागत है आपका ..बेहिचक कहें , बेझिझक कहें ..