गंभीर अपराधों के लिए जमानत की अर्जी अदालत में ही देनी होती है। हत्या, dakaitee,बलात्कार, अपहरण,आदि जैसे गंभीर अपराधों के लिए। उच्च न्यायाय्लय द्वारा जमानत के आदेश तथा सत्र न्यायाय्लय द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी पर दिया गया आदेश संबंधित न्यायालयों तथा थानों में , प्रतिलिपि के रूप में भेजा जाता है। हालांकि जमानत के लिए कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है। ये अपराध की प्रवृत्ति , प्रार्थी की स्तिथि तथा जमानत के लिए उसका आधार पर निर्भर करता है। किंतु सभी अध्नास्थ न्यायालय , समय समय पर उच्च न्यायाय्लय द्वारा जारी दिशा निर्देह्सों को अनुकरणीय रूप में लेते हैं। जमानत आदेश के अनुसार , एक या दों व्यक्तियों को जमानती के रूप में प्रस्तुत करना होता है। जमानती के रूप में परिवार, पड़ोस समाज, रिश्तेदारी आदि में से कोई भी व्यक्ति प्रस्तुत हो सकता है। जमानत हेतु प्रस्तुत किए जाने वाले बंद पत्र यानि बेल बोंड में जमानती का विस्तृत वर्णन दिया जाना अनिवार्य होता है। स्मरण रहे की इन दिनों जमानती की पासपोर्ट फोटो को बेल बोंड पर चिपकाना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
जमानत राशी के बारे में , अपनी उस वस्तु या कोई कागजातों के बारे में , जिसे की जमानत के तौर पर प्रस्तुत किया जाना है, उसकी फोटो प्रति भी बेल बोंड के साथ लगानी होती है। न्यायादीश के पूछने पर सब कुछ सही सही बताना आवश्यक है, उसके बाद भी अदालत चाहे तो, अपनी तसल्ली के लिए पुलिस वेरेफीकैसन करवा सकती है, यदि अदालत ऐसा आदेश करती है तो जमानाते को इस बात के लिए तैयार हो जाना चाहिए की कुछ पुलिस वाले उसके घर और पड़ोस में आकर उसके बारे में पूरी पूछताछ कर सकते हैं। इस वेरेफिकासन रिपोर्ट के सही पाए जाने पर उस व्यक्ति को जमानती के रूप में अदालत स्वीकार कर लेती है।
जमानत के सन्दर्भ में कुछ विस्शेष बातों का उल्लेख आवश्यक हो जाता है। यदि प्रार्थी को जमानत राशी ज्यादा लगती है , इतनी की वह जमानती प्रस्तुत नहीं कर सकता तो वह जमानत राशी कम किए जाने की prarthnaa कर सकता है।
kramash :
aachi jankari hai.par mujhe to pta hai.
जवाब देंहटाएंare mujhe to aaj aur abhi hee pataa chala ki aap advocate hain , chaliye achhaa hai, waise main aapko bata doon ki main tees hazari court mein kaaryarat hoon.
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