बुधवार, 27 फ़रवरी 2008
इस ब्लॉग का परिचय
जैसा की पिछले वर्ष के अंत में आप सबसे वादा किया था की भविष्य में आप लोगों के लिए दो नए ब्लॉग लेकर उपस्थित हूउँगा, जिसमें से पहला होगा कोर्ट-कचहरी और दूसरा एक उपन्यास "मंदाकिनी " । अपने वादे के अनुरूप ही आपके सामने पहला और मेरा चौथा ब्लॉग लेकर हाजिर हूँ।
कचहरी या अदालत बहुत पहले से एक ऐसी जगह रही है जहाँ के बारे में बहुत सारी बातें कही और सूनी जाती रही हैं। कोई इसे न्याय का मन्दिर कहता है , कोई इसे लोकतंत्र का प्रहरी कहता है । कुछ लोग कहते हैं की भगवान् दुश्मन को भी अदालत के चौखट पर ना ले जाए। कहने का मतलब की जितने लोग उतने ही अलग अलग अनुभव और उनके विचार। ब्लॉग जगत पर पहले से ही कुछ ब्लोग्स अदालत या इससे संबंधित विषयों पर चल रहे हैं । मगर मैं उनसे अलग आपसे बहुत सी बातें करने सुनने वाला हूँ । पिछले दस वर्षों में अपने कार्य के दौरान मेरे अनुभव , मेरी जानकारी, मेरा ज्ञान और मेरी सहायता जो भी जितना भी मेरे पास है वो मैं आपसे बांटने वाला हूँ। मसलन एक आदमी के लिए अदालत कोर्ट कचहरी का मतलब , उसकी दिक्कत, उसके अनुभव , उसके सवाल और उनका जवाब ॥
यदि थोडा संछेप में बताऊँ टू ये कुछ ऐसा होगा, की एक आम आदमी को अपना वकील चुनने से पहला किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, गवाही देते समय क्या कैसे होना चाहिए, विवाह और तलाक, गुजारा बता, जमानत , क्लेम आदि सब कुछ धीरे धीरे आपके सामने लाने की कोशिश रहेगी, इसके साथ साथ अदालातों में घटने वाली दिलचस्प घटनाएं, फैसले , और भी बहुत कुछ।
अंत में सिर्फ़ इतना ही की मेरे अन्य ब्लोग्स की तरह आप जब इसे भी पढेंगे टू मुझे यकीन है की आपको ऐसा नहीं लगेगा की समय नष्ट हुआ.
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