tag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post2127928033273422924..comments2023-09-24T21:32:32.118+05:30Comments on कोर्ट कचहरी: बुरे फ़ंसे वकील साहेब....ऐसा भी होता है ।अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-1059402698091646032009-11-06T18:01:06.387+05:302009-11-06T18:01:06.387+05:30वकील मूर्ख था। उस ने देखा कि अदालत तो अंधी होती है...वकील मूर्ख था। उस ने देखा कि अदालत तो अंधी होती है। लेकिन दूसरा पक्ष और उस का वकील तो अंधा नहीं होता। यहाँ दूसरे पक्ष ने होशियारी से काम लिया और सच सामने आ गया।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com