tag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post9199556420985983819..comments2023-09-24T21:32:32.118+05:30Comments on कोर्ट कचहरी: वैकल्पिक न्यायिक प्रक्रियाएं : बेहतर शुरूआतअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-77704451968656500012015-05-31T16:09:43.906+05:302015-05-31T16:09:43.906+05:30aap ka har sabd sahi haiaap ka har sabd sahi haiVinod kumarhttps://www.blogger.com/profile/04526702430442624685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-63758105525519257422011-12-25T23:19:09.656+05:302011-12-25T23:19:09.656+05:30विस्तार से बात रखने के लिए शुक्रिया सर । यही हकीकत...विस्तार से बात रखने के लिए शुक्रिया सर । यही हकीकत है आज कीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-72388541174481610232011-12-25T23:04:08.094+05:302011-12-25T23:04:08.094+05:30मूल न्यायिक प्रक्रिया से भिन्न मुकदमों की संख्या क...मूल न्यायिक प्रक्रिया से भिन्न मुकदमों की संख्या कम करने के वैकल्पिक उपाय सदैव ही व्यवस्था द्वारा आम जनता को न्याय प्रदान करने से मना कर देने के समान है। इस का स्पष्ट अर्थ है कि मौजूदा व्यवस्था जनता को न्याय प्रदान करने में अक्षम सिद्ध हो चुकी है। अब केवल वह लज्जा बचाने के लिए इधर उधर स्थान तलाश रही है।<br />आप तो मौजूदा न्याय व्यवस्था के अंग होने के कारण स्वयं जानते हैं कि लोक अदालतों का सच क्या है? लोक अदालतों में निपटने वाले मुकदमों में से 70 से 80% मुकदमें मोटरयान दुर्घटना दावों के होते हैं। वहाँ एक लंबे समय तक याचक न्याय से वंचित होने के स्थान पर औने पौने में समझौता करना पसंद करता है। ब्याज की उसे शतप्रतिशत हानि होती है। उस का वकील अपनी फीस जल्दी प्राप्त करने के लिए उसे किस तरह बरगलाता है यह भी आप से छुपा नहीं है। बीमा कंपनियों को कितना लाभ होता है यह भी जगजाहिर है। यदि वास्तविक मानदंडों पर मुआवजा अदालते दिलाने लगें तो इन बीमा कंपनियों का दिवाला निकलने में देर न लगे। या फिर उन्हें वाहन मालिकों की प्रीमियम की दरें बढ़ानी पड़ें। प्रीमियम की भारी दरें वाहन की बिक्री पर असर डाल सकती हैं, इस से वाहन उत्पादन कम हो सकता है। इस कारण प्रीमियम की दरें बढ़ाई नहीं जाती हैं। वाहन उद्योंग के बेतरतीब फैलाव ने देश को वाहनों से पाट दिया है। वाहनों को बेचे जाने वाले ईंधन पर लगाए टैक्स से सरकार को बड़ा राजस्व प्राप्त होता है इस कारण वह भी इस उद्योग को फलने फूलने देती है। भले ही देश में वाहनों के लिए सड़कें न हों। पर उद्योगपतियों को फलने फूलने सरकार को चलाने के लिए देश की बेशकीमती दौलत ईंधन उत्पादक मुल्कों में चली जाती है। फिर उस दौलत से अमरीका से हथियार खरीदे जाते हैं जिस पर अमरीका की सारी अर्थव्यवस्था टिकी रहती है। अपनी अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने के लिए अमरीका ने ईंधन उत्पादक देशों को हथियारों की प्रयोगशाला बना कर रख दिया है। <br />इस तरह देश के लोगों को न्याय से वंचित रखने के पीछे बड़े बड़े कारण हैं जिन की अनदेखी नहीं की जा सकती। उसी अमेरिका में प्रति दस लाख की आबादी पर 111-112 जज हैं वहीं भारत में दस लाख की आबादी पर 13-14 जज हैं। इन जजों की संख्या बढ़ाना सही उपाय है लेकिन सरकार के लिए जनता को न्याय दिलाने से अधिक आवश्यक अमरीका की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने मे मददगार बने रहना है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com