tag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post7534134492254771887..comments2023-09-24T21:32:32.118+05:30Comments on कोर्ट कचहरी: रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर .....मृत्युदंड बनाम आजीवन कारावास ......प्रियदर्शनी मट्टू हत्याकांड फ़ैसले के परिप्रेक्ष्य में .... अजय कुमार झाअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-66520919792445925542010-10-13T07:40:01.477+05:302010-10-13T07:40:01.477+05:30बात को सारगर्भित तरीके से कहने के लिए बधाई। अदालतो...बात को सारगर्भित तरीके से कहने के लिए बधाई। अदालतों के फैसले पूरी तरह से पढ़े बिना उसपर टिप्पणी लोगो की आदत एक गलत पंरपरा की शुरुआत है। फैसले से सहमति और असहमति रखना अलग बात है औऱ उस पर टिप्पणी करना अलग। उच्चतम न्यायाल इतना अंधा नहीं है जितना लोग समझते हैं। यही अदालते हैं जो पिछले डेढ़ दशक से जनता के वो काम करवा रही हैं जो जनता को खुद नेताओं पर दवाब बनाकर करवाना चाहिए था। पर जनता वहां तो वोट देते समय इसे याद नहीं रखती। हां ये सही है कि अदालतें भी विश्वसनीयता के संकट से गुजरने लगी हैं खासकर निचली अदालतें। शमित मुखर्जी की याद ताजा है जेहन में। यहां अदालतों पर खुद अपने दामन को साफ रखने औऱ विश्वसनीयता को बनाए रखने की जिम्मेदारी है।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-88380484320441698822010-10-10T21:15:25.715+05:302010-10-10T21:15:25.715+05:30किसी भी निर्दोष की जान ले लेना ( चाहे अधिक क्रूर त...किसी भी निर्दोष की जान ले लेना ( चाहे अधिक क्रूर तरीके से ली गई हो या कम पीडाजनक तरीके से ) किस प्रकार से rarest of rare नहीं कहा जा सकता ?? किसी की जान ले लेना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है परन्तु जान लेने को rarest of rare ना मानने का क्या ये मतलब नहीं की हम किसी व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति की जान लेने को एक normal बात मान रहे हैं ?? और दुर्भाग्य से आजकल हो भी यही रहा हैMahakhttps://www.blogger.com/profile/11844015265293418272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-91073404768970367032010-10-10T17:48:40.276+05:302010-10-10T17:48:40.276+05:30हां इस फ़ेसले के बारे मैने यहां टी वी(भारतिया) पर द...हां इस फ़ेसले के बारे मैने यहां टी वी(भारतिया) पर देखा तो हेरान रह गया था, लेकिन क्या कर सकते हे, ऎसे केसो मे तो बहुत ही सख्त सजा होनी चाहिये, उम्र केद तो बहुत कम हे, जिस भी लडकी के संग होनी हुयी हे उस समय उस पर क्या बीती होगी... धन्यवाद इस उत्तम लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-8431393002291207242010-10-10T05:57:29.049+05:302010-10-10T05:57:29.049+05:30इस लेख के लिए आभारइस लेख के लिए आभारएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-80288263586767236232010-10-09T23:45:32.038+05:302010-10-09T23:45:32.038+05:30प्रिय गजेन्द्र जी ,
मुझे जो जैसा लगा आपके पोस्ट प...प्रिय गजेन्द्र जी , <br />मुझे जो जैसा लगा आपके पोस्ट पर टिप्पणी कर दी है अब सफ़ी क्या दूं ..हां जहां तक मेरे लेख को बुरा कहने से फ़र्क पडने की बात है तो वो तो मुझे पडना चाहिए ..और यकीन मानिए पडेगा भी ..आखिर इतने श्रम से लिखी गई पोस्ट यदि बेकार साबित होती है तो यकीनन सोचना पडेगा और शायद सोचना भी चाहिए ...वो तो एक आग्रह भर था ....मानना या न मानना तो निश्चित रूप से आपका अधिकार ही है ....शुक्रिया ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5752275418670186552.post-44185830215781772022010-10-09T23:32:30.773+05:302010-10-09T23:32:30.773+05:30आपने अच्छा लेख लिखा है ... और कोई इसे बुरा भी कहे ...आपने अच्छा लेख लिखा है ... और कोई इसे बुरा भी कहे तो भी हमें फर्क नहीं पड़ेगा ... हमें अच्छा लगा बस<br />------------------------------------------------------------------<br /><br />अजय कुमार झा ने कहा ..<br />जे बात तो आखिरकार सुलझा ही ली न<br /><br />अजय जी आपको अपनी टिपण्णी निकलने की कोई आवश्यकता नहीं थी .....<br />ये तो कोई बात नहीं होती की एक बार आपने तारीफ कर दी और ... फिर किसी ने बुरा कहा तो आपने भी बुराई कर दी ....गजेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14299561081216186994noreply@blogger.com